‘अश्रुतपूर्व’ वेबसाइट का लोकार्पण

अश्रुतपूर्व के केक के साथ

‘अश्रुतपूर्व’ शब्द का अर्थ होता है ‘जो पहले नहीं सुना गे हो’। www.ashrutpurva.com नाम की इस वेबसाइट को दो कवयित्रियों, डॉ सांत्वना श्रीकांत और सुश्री लिली मित्रा जी ने शुरू किया है। यह एक लिटरेरी ई पत्रिका है। गत 5 अगस्त को इस वेबसाइट का लोकार्पण कार्यक्रम था। कार्यक्रम छतरपुर के फार्म हाउसेज़ के बीच एकांत में बने एक शानदार होटल ऑक्यूपलेंट में इसका विमोचन हुआ। इस मौक़े पर श्री शम्भुनाथ शुक्ल, साहित्यकार राज कुमार गौतम, राजगोपाल सिंह वर्मा, राज शेखर वशिष्ठ, चंद्रिका चंद्र, अनीता पांडेय व हिंदी तथा बघेली के अनेक कवि पधारे थे। श्री अनिल जी इस वेबसाइट के तकनीकी पक्ष पर बोले और शम्भुनाथ शुक्ल जी कंटेंट पर। अध्यक्षता डॉ. चंद्रिका चंद्र ने की और मुख्य अतिथि के तौर पर मुझे बुलाया गया था। शायद साहित्य, कला, संगीत, संस्कृति, धरोहर और ट्रैवेलॉग व पाक कला को समर्पित पहली इतनी भव्य ई पत्रिका होगी।

कार्यक्रम अध्यक्ष श्री शम्भुनाथ शुक्ल

डॉ. सांत्त्वना श्रीकांत और लिली मित्रा जी का यह प्रयास निश्चय ही सराहनीय है। यह वेबसाइट भाषा, साहित्य, कला और जीवन-दर्शन के लिए समर्पित है। इस आयोजन में कोरोना गाइडलाइन पर पूरी तरह अमल किया गया। विशाल सभागार में कुल बीस लोग थे।

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