भारतीय सभ्यता और विकास

भारतीय जीवन में सभ्यता और नैतिकता हमारे देश की संस्कृति का प्रचार संभवत देश के कोने कोने में है कई विदेशी हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति से इतना प्रभावित हैं कि वहां के विद्वान हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति पर रिसर्च करके पीएचडी की उपाधि ले रहे हैं लेकिन हमारे देश की जनता इसका महत्व नहीं जानती उन्हें अपनी विरासत से मिली  सभ्यता से कोई लेना-देना ही नहीं है क्योंकि वे  इसे घटिया और अपनी बेइज्जती करने वाले समझते हैं क्योंकि वह आधुनिक और आधुनिकता का सीधा मतलब समझते हैं पश्चिमी सभ्यता का अनुकरण क्योंकि बिना पश्चिमी सभ्यता का अनुकरण किए आधुनिकता को और आधुनिकीकरण को समझा ही नहीं जा सकता या कल्पना भी नहीं की जा सकती ऐसा हमारे देश के लोग समझते हैं। शायद उन्हें नहीं मालूम कि सभ्यता का सूर्य पूर्व से ही निकलता है और पश्चिम में अस्त हो जाता है। अब रहा प्रश्न कि आधुनिकता क्या है तो आधुनिकता का मतलब है आज के वर्तमान समय में जो आधुनिकता है, कल परंपरा में परिवर्तित हो जाएगा क्योंकि परिवर्तन संसार का नियम है। समाज सदैव आगे की तरफ बढ़ता है अर्थात विकास की ओर बढ़ता है, यह शाश्वत सत्य है। हर जगह हर व्यक्ति में विकास की संभावनाएं होती है तो विकास होना चाहिए ।लेकिन विकास इतना भी तेजी से नहीं होना चाहिए कि वह विनाश का रूप धारण कर ले। अब रही बात विकास और विनाश  मे संबंध स्थापित  करने की तो शिक्षा ग्रहण करना बहुत अच्छी बात है और जहां से मिले वहीं से ग्रहण कर लेनी चाहिए। विभिन्न देश की भाषाओं का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए ।वहां के इतिहास भूगोल और राजनीतिक परिस्थिति का भी ज्ञान करना चाहिए। यह विकास है लेकिन इनका ज्ञान हमें हो और हमारा ही ज्ञान हमें ना हो तो ऐसी शिक्षा किस काम की जो हमें अपने और अपनी मातृभाषा और मातृभूमि से दूर ले जाए। अगर हमें अपना और अपनी सभ्यता का ज्ञान नहीं होगा तो यह  यह विनाश है, क्योंकि इसका  फिर लोप हो जाएगा। जब इसका लोप हो जाएगा तो फिर  शोध करने कोई भारतवर्ष नहीं आएगा आज के समय में इंटरनेट और मोबाइल का प्रचलन है, बहुत अच्छी बात है। क्योंकि इससे हमारी जिंदगी सरल व अच्छी हो गई है विकास ही हो रहा है। बैठे बैठे सारे कार्य हो जा रहे हैं लेकिन इससे अपराध भी बहुत ज्यादा हो रहे हैं।  इंटरनेट और मोबाइल पर ज्ञान की चीजें भी बहुत ज्यादा है और बेकार की चीजें भी बहुत ज्यादा है।  लोग इसका सही इस्तेमाल करते हैं तो ज्ञान प्राप्त होता है परंतु गलत इस्तेमाल करते हैं तो अज्ञानता का प्रचलन  भी बढ़ता है।  यह बच्चों को गुमराह भी करते हैं और अपराध को भी बढ़ावा देते हैं।  आज बच्चे शारीरिक खेल कम खेलते हैं और इंटरनेट पर खेल ज्यादा खेलते हैं।  इंटरनेट पर चैटिंग ज्यादा करते हैं । रात्रि 12 बजे, 1:00 बजे, 2:00 बजे तक तो ऐसे में उनका स्वास्थ्य भी खराब हो जाता है।  वह मानसिक अवसाद के शिकार हो जाते हैं बात बात पर  चिड़चिड़ा हो जाते हैं।   बड़े भी कम नहीं है बड़ी बहुराष्ट्रीय उत्सव में पानी की व्यवस्था नहीं होती शराब की व्यवस्था होती है । अगर कोई व्यक्ति शराब नहीं पिया तो वह अशिक्षित व अनपढ़ माना जाएगा और पीने पर  आधुनिक माना जाएगा और भी तमाम बुराइयां हमारे देश में आ रही है और लोग लड़खड़ाते हुए उसकी तरफ जा रहे हैं।  इन चीजों को रोकना बहुत जरूरी है क्योंकि बुराइयां अपनी और आकर्षित करती हैं।  बच्चा वह नहीं करता जो पिता सिखाता है, बल्कि वह करता है जो पिता करता है।  आने वाले समय को सुधारने के लिए मर्यादा में रहना अति आवश्यक है अर्थात मर्यादित ढंग से जीवन जीना आवश्यक है।  सही संस्कार हमें अपनी पीढ़ियों में देनी चाहिए।  यह धर्म के ज्ञान से ही संभव है मैं यह नहीं कहता कि सिर्फ हिंदू ग्रंथ  की सहायता से बल्कि संसार के सभी धर्म मर्यादा में रहने और नैतिकता का पालन करने की शिक्षा देते हैं।  संसार में किसी भी धर्म का व्यक्ति अगर इन धर्मों का पालन नहीं करता अर्थात नैतिकता और मर्यादा का तो उसे उसी तरह   त्याग देना चाहिए जैसे माली घास को काट कर फेंक देता है।  आज हमें अपने देवी देवता का नाम भी पता नहीं है हिंदी महीनों का नाम भी पता नहीं है तो हम अपने बच्चों को क्या सिखाएंगे।  यह कठिन काम है लेकिन हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे धर्म पर चले क्योंकि कहा जाता है धर्म रक्षति रक्षित: अर्थात धर्म की तुम रक्षा करो तो धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा और समाज में शांति बनी रहेगी । तो सभी  को चाहिए कि अपने अधिकार और कर्तव्यों का बोध हो तो यह कार्य करना पड़ेगा।  समुंद्र में रोज ज्वार-भाटा आता है लेकिन उससे कोई फर्क नहीं पड़ता परंतु यदि समुंद्र अपनी मर्यादा तोड़ दे तो सैंडी और सुनामी जैसे तूफान आ सकते हैं। ऐसी स्थिति ना हो इसलिए मर्यादा का पालन करना अति आवश्यक है। ऋग्वेद में भी कहा गया है कि हमें अपने दिमाग की खिड़कियों को खुली रखनी चाहिए क्योंकि चारों ओर से ज्ञान आ ररहा है परंतु धूल अंदर प्रवेश ना करें इसकी भी व्यवस्था करनी चाहिए।

  • अमित कुमार द्विवेदी

शोधार्थी (राजनीति विज्ञान)

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