पीड़ा, प्रश्न और प्रतिकार के स्वर से भोजपुरी को ताकतवर बनाती बलभद्र की समीक्षा

हिन्दी और भोजपुरी के प्रख्यात रचनाकार बलभद्र जी के समालोचनात्मक आलेखों के संग्रह-“भोजपुरी साहित्य :देश के देस का”को सर्वभाषा ट्रस्ट,नई दिल्ली ने छापा है।लेखक के पन्द्रह हिन्दी आलेख इसमें संकलित हैं।देश के ‘देस’ की कविता-भोजपुरी, भोजपुरी में विस्थापन के काव्य -प्रसंग,भोजपुरी कविता का जनपक्ष,सत्ता-व्यवस्था पर भोजपुरी कविता का व्यंग्य, भोजपुरी कविता के संवादधर्मी जन-संदर्भ, लोक-साहित्य जीवनधर्मी संकल्पों की विरासत, भोजपुरी लोककथा:कहना-सुनना-समझना, लोकगीतःलेखा-देखा, जिन्दगी की महिमा का गायक,पीड़ा,प्रश्न और प्रतिकार की गूंज, तत्समता और तद्भवता के बीच,भोजपुरी का गद्य-बल,विभाजन को खारिज करते मुस्लिम लोकगीत , ‘बटोहिया’ और ‘अछूत की शिकायत’ के…

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