असहाय न्यायालय

कोरोना के कारण राजधानी में हाहाकार मचा हुआ था। अस्पतालों में बेड नहीं थे, ऑक्सीजन नहीं थी। लोग मर रहे थे। न्यायालय में बहस चल रही थी। दो न्यायाधीशों की बेंच वरिष्ठ अधिवक्ता रागिनी चैधरी की याचिका पर विचार कर रही थी। रागिनी चैधरी का मोबाइल बजा। मोबाइल बंद करके वह कहने लगी- ‘‘सर, इस बहस को यहीं रोक दें। मैं अपनी याचिका वापिस लेती हूँ। अब आप क्या, कोई भी कुछ नहीं कर सकता। मैं हार गई सर, मैं हार गई।’’ कहकर वह फूट-फूटकर रोने लगी। एक जूनियर एडवोकेट…

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