‘Scent of Happiness’ is a collection of 100 principles, values, and thoughts that act as pillars in our lives. From a reader’s perspective, along with the enlightenment that comes with the book, there is also a sense of sudden realization of the fact that how certain fundamentals are overlooked by us in our quest to lead a successful life. For anyone out there in this chaotic world, who feels lost, this book will be a great companion. It is important to point out a few thought-provoking bits and pieces from…
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साधना और अनुभव की चासनी से सराबोर ‘साथ गुनगुनाएंगे’
जैसा कि हम सभी को यह ज्ञात है कि यह अरबी साहित्य की प्रसिद्ध काव्य-विधा है जो बाद में फारसी,उर्दू नेपाली और हिन्दी साहित्य और भोजपुरी साहित्य में भी बेहद लोकप्रिय हुई। अरबी भाषा के इस शब्द का अर्थ है औरतों से या औरतों के बारे में बातें करना।परंतु समय के साथ इसके फ़लक में जबरजस्त विस्तार हुआ। दुष्यंत कुमार ने गजल की विषय वस्तु में सामाजिक-राजनैतिक जिंदगी का सच पिरोकर उसे जो विस्तार दिया था, उसे एडम गोंडवी ‘बेवा के माथे कि शिकन’ तक ले गए । कहने का तात्पर्य यह कि आज…
Read Moreअपनापन तलाशने वाली स्त्री के सफरनाने का दूसरा नाम है ‘स्त्री का पुरुषार्थ’
पुरुषार्थ हर मनुष्य का सत्य है। यह लक्ष्य हर मानव जीवन का है। जिन चार पुरुषार्थ का नाम लिया जाता है, उन्हें संसार भर की स्त्रियां पुरुषों से कहीं अधिक जीती है। जिसे पुरुषार्थ चतुष्टय कहते हैं, उन्हें हासिल करती हैं। चार्वाक दर्शन हो या महर्षि वात्सयायन, उनके द्वारा प्रतिपादित धर्म, अर्थ और काम का निर्वहन करते हुए वह हमेशा आगे बढ़ती रही है। अपना स्त्री धर्म निभाती रही है। इसी तरह अर्थ का तात्पर्य सिर्फ अर्थ से नहीं उस जीवन संघर्ष से है, जिससे गृहस्थी चलती है और सामाजिक…
Read More‘ग्रामदेवता’ एक व्यंग्यात्मक उपन्यास
नवम्बर, 2020 में ऐक्सिस प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित ‘Village-gods ‘ के रूप में अंगरेज़ी में अनुवाद करते समय कथाकार प्रोफ़ेसर रामदेव शुक्ल के भोजपुरी उपन्यास ‘ग्रामदेवता ‘ की पंक्तियों से गुजरते हुए मैंने पहली बार भोजपुरी भाषा की सिहरन, छुवन, कचोट से एकाकार होते हुए एक नई साहित्यिक अनुभूति प्राप्त की। यद्यपि “ग्रामदेवता ” पूर्वी उत्तर प्रदेश के ग्राम्यांचल को आधार बनाकर लिखा गया है लेकिन यह उपन्यास भारतवर्ष के सभी गाँवों के परिदृश्य को जीवन्त शैली में मूर्त कर देता है। उपन्यास का शीर्षक ‘ग्रामदेवता ‘ व्यंग्यात्मक है।…
Read Moreपत्र-प्रतिक्रिया
नमस्कार मित्रों, नूतन चिंतन के साथ प्रगति की दिशा में अग्रसर करना अत्यंत रुचिकर होता है। साहित्य शब्द आता है भाषा से । हमारा देश भारत विविध भाषाओं का समन्वय है एवं भिन्न भिन्न संस्कृतियों की धरा भी । साहित्य इन भाषाओं को… संस्कृतियों को अपना देहावरण बनाये उल्लसित हो उठता है देश के भिन्न भिन्न प्रांतो में । यदि इन्हीं भाषाओं को हमें एक ही साहित्यिक पटल पर पढ़ने का अवसर मिल जाए तो अति प्रसन्नता मिलती है। पत्रिका ‘सर्वभाषा’ चमत्कृत करती एक ऐसी पत्रिका है जिसमें अंग्रेजी सहित…
Read Moreपीड़ा, प्रश्न और प्रतिकार के स्वर से भोजपुरी को ताकतवर बनाती बलभद्र की समीक्षा
हिन्दी और भोजपुरी के प्रख्यात रचनाकार बलभद्र जी के समालोचनात्मक आलेखों के संग्रह-“भोजपुरी साहित्य :देश के देस का”को सर्वभाषा ट्रस्ट,नई दिल्ली ने छापा है।लेखक के पन्द्रह हिन्दी आलेख इसमें संकलित हैं।देश के ‘देस’ की कविता-भोजपुरी, भोजपुरी में विस्थापन के काव्य -प्रसंग,भोजपुरी कविता का जनपक्ष,सत्ता-व्यवस्था पर भोजपुरी कविता का व्यंग्य, भोजपुरी कविता के संवादधर्मी जन-संदर्भ, लोक-साहित्य जीवनधर्मी संकल्पों की विरासत, भोजपुरी लोककथा:कहना-सुनना-समझना, लोकगीतःलेखा-देखा, जिन्दगी की महिमा का गायक,पीड़ा,प्रश्न और प्रतिकार की गूंज, तत्समता और तद्भवता के बीच,भोजपुरी का गद्य-बल,विभाजन को खारिज करते मुस्लिम लोकगीत , ‘बटोहिया’ और ‘अछूत की शिकायत’ के…
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