दिनांक 1 अगस्त 2021, “हिमांतर” पत्रिका के “यात्रा विशेषांक” अंक का लोकार्पण बेहद शानदार रहा । यात्राएं मनुष्य को चैतन्य करती हैं। उम्मीद है भविष्य में यह विशेषांक पहाड़ की आवाज को दूर तक नए कलेवर में पहुंचाएगा । दिन प्रतिदिन इस अंक में गुणवत्ता के साथ सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं। साहित्य परिचर्चा मे मझे हुए साहित्यकारों से रूबरू होना एक आत्मिक सुख है । लेखक स्वयं में एक चलती फिरती किताब होते हैं अतः अनमोल पलों को संजो लेना चाहिए। वरिष्ठ साहित्यकार एवम् डा० योगम्बर सिंह बर्तवाल, सचिव…
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डोगरी भाषा अकादमी की तरफ से पद्मा सचदेव जी को श्रद्धांजलि
5 अगस्त, 2021, जम्मू। आज डोगरी भाषा अकादमी जम्मू की ओर से ज्यौड़ियां में एक शोक सभा की गई जिसमें डोगरी भाषा की महान पहली आधुनिक कवित्री पदमश्री पदमा सचदेव जी को श्रद्धांजलि दी गई । इस शोक सभा का आयोजन ज्यौड़ियां कस्बे की वार्ड नं 6 में किया गया और स्थानीय साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों ने उनकी तस्वीर को पुष्प अर्पित करके उनकी आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा। इस सभा में पद्मा जी के जीवन और उनके कार्यों की विस्तार से चर्चा की गई ।…
Read Moreअसहाय न्यायालय
कोरोना के कारण राजधानी में हाहाकार मचा हुआ था। अस्पतालों में बेड नहीं थे, ऑक्सीजन नहीं थी। लोग मर रहे थे। न्यायालय में बहस चल रही थी। दो न्यायाधीशों की बेंच वरिष्ठ अधिवक्ता रागिनी चैधरी की याचिका पर विचार कर रही थी। रागिनी चैधरी का मोबाइल बजा। मोबाइल बंद करके वह कहने लगी- ‘‘सर, इस बहस को यहीं रोक दें। मैं अपनी याचिका वापिस लेती हूँ। अब आप क्या, कोई भी कुछ नहीं कर सकता। मैं हार गई सर, मैं हार गई।’’ कहकर वह फूट-फूटकर रोने लगी। एक जूनियर एडवोकेट…
Read Moreप्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को राजभाषा विभाग का ‘राजेन्द्र प्रसाद शिखर सम्मान’
बिहार सरकार की ओर से वर्ष 2020 के लिए राजेन्द्र प्रसाद शिखर सम्मान की घोषणा साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष प्रो विश्वनाथ प्रसाद तिवारी के नाम की हुई है। उनका कहना है कि जीवन में उन्हें कई बड़े पुरस्कार मिले हैं लेकिन पड़ोसी राज्य बिहार का सर्वोच्च सम्मान पाने में आत्मिक खुशी मिलेगी। प्रो. तिवारी ने बताया कि उन्हें उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश के साथ उत्तर प्रदेश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। अब बिहार ने भी सम्मानित कर दिया। 20 जून 1940 को कुशीनगर…
Read Moreभगवती प्रसाद द्विवेदी को राजभाषा विभाग का ‘भिखारी ठाकुर पुरस्कार’
बलिया के मूर्धन्य साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी को बिहार सरकार के राजभाषा विभाग द्वारा वर्ष 2020 का भिखारी ठाकुर पुरस्कार दिया गया है। भगवती प्रसाद द्विवेदी जी हिंदी व भोजपुरी के वरिष्ठ साहित्यकार हैं। अभी हल ही में उनके द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘महेन्दर मिसिर के चुनिंदा भोजपुरी गीत’ का प्रकाशन सर्वभाषा ट्रस्ट द्वारा किया गया है। सर्वभाषा ट्रस्ट परिवार की ओर से उन्हें अनंत बधाइयाँ।
Read Moreऑन लाइन कवि सम्मेलन आयोजित
कोरोना काल में मंचीय गतिविधियां लगभग बंद है। फिर भी साहित्यकार बंधु सोशल प्लेटफार्म का उपयोग कर साहित्यिक गतिविधियों जारी रखे हैं। विभिन्न संगठन ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।इसी क्रम में भोजपुरी साहित्यिक मंच ने १८ जुलाई को अपने पेज पर भोजपुरी फाउंडेशन के सहयोग से राष्ट्रीय भोजपुरी कवि सम्मेलन आयोजित किया । जिसमें देश के कोने – कोने से कवियों ने भाग लिया । भोजपुरी साहित्यिक मंच के अध्यक्ष श्री महेंद्र पाण्डेय ने सभी का अभिनंदन किया। मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड से श्री मनोज कुमार अग्रवाल…
Read Moreसत्य नारायण मिश्र ‘सत्तन’ जी की छठवीं पुण्यतिथि
गोरखपुर। “भोजपुरी में ऊ ताकत बा कि खाली रचना के बल पर एके स्थापित कइल जा सकत बा। दुनिया के 18 देसन में भोजपुरी ओइसे बोलल जाला जइसे आपन भासा होखे। संसार में यह समय जेतना लोग भोजपुरी बोले वाला बाटें ओतना हिंदी के नईखें। ई भोजपुरी ‘सत्तन जी’ से आ उनके रचना से सीखल जा सकत बा। लिखवइयन के जवन अपने गांँव गिराव में होत बा ऊहे लिखे के पड़ी। एह क्षेत्र में सत्तन जी अइसन अकेल आदमी रहलें जवन भोजपुरी में खाली लिखत नाइ रहलें बल्कि भोजपुरी के…
Read More‘सर्वभाषा’ देश की 49 भाषाओं में प्रकाशित पहली पत्रिका
भाषा भाव सम्प्रेषण का माध्यम है। मानव-विकास के महत्त्वपूर्ण सोपानों में आग, पहिया के बाद भाषा का सबसे अधिक महत्त्व है। भाषा ने बर्बर मानव को सभ्यता दी। मानव के भाव-सम्प्रेषण के अभाव को स्वभाव दिया। परन्तु कई बार भाषा के नाम पर लड़ते-भिड़ते देखा जाता है जो अमानवीय लगता है। ‘सर्व भाषा ट्रस्ट’ द्वारा भाषा,साहित्य, कला और संस्कृति को समर्पित पत्रिका ‘सर्वभाषा’ में मानवीय सरोकारों और भाषिक एकता का जीवंत उदहारण मिलता है। यह पत्रिका केशव मोहन पाण्डेय के सम्पादन में प्रकाशित होती है। पत्रिका में सभी भाषाओं और…
Read Moreसाधना और अनुभव की चासनी से सराबोर ‘साथ गुनगुनाएंगे’
जैसा कि हम सभी को यह ज्ञात है कि यह अरबी साहित्य की प्रसिद्ध काव्य-विधा है जो बाद में फारसी,उर्दू नेपाली और हिन्दी साहित्य और भोजपुरी साहित्य में भी बेहद लोकप्रिय हुई। अरबी भाषा के इस शब्द का अर्थ है औरतों से या औरतों के बारे में बातें करना।परंतु समय के साथ इसके फ़लक में जबरजस्त विस्तार हुआ। दुष्यंत कुमार ने गजल की विषय वस्तु में सामाजिक-राजनैतिक जिंदगी का सच पिरोकर उसे जो विस्तार दिया था, उसे एडम गोंडवी ‘बेवा के माथे कि शिकन’ तक ले गए । कहने का तात्पर्य यह कि आज…
Read Moreऐ मेरी दुखमयी रातें
ऐ मेरी दुखमयी रातें क्यों बिलखकर रो न लेती ? हैं उमड़ते मेघ तेरे इस हृदय स्नेहिल पटल पर टूटते मिटते गरजते हैं बिखरते इस अचल पर क्यों न तुम खुद के बरसकर इस नयन में हो न लेती ऐ मेरी दुखमयी रातें क्यों बिलखकर रो न लेती ? क्षण भर उजाला बस लिए आकाश में बिजली चमकती वेदना के फिर अँधेरों में मेरी रातें सिमटती सिसकियाँ भर कर लिपटकर गोद में क्यों रो न लेती ऐ मेरी दुखमयी रातें क्यों बिलखकर रो न लेती ? खिड़कियों से झाँक आ…
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