जीबनर् महक्

कोशली कबिता- ********* (देवनागरी लिप्यंतरण) जीबनर् उषत् महक् टा महकि जउछे चार्’हिकुति पाएबार् के हेले इटा बन्’बार् के पड्’बा महम्’बती ….! दुइ दिनिआ मुनुष् जीबन् दर्’कार् नाईँ टँका संपति अछे दर्’कार् भाबर् हुरुद् भरा सत् पिर्’ती ….! नुहँन् किहे अल्’गाटा जिए हउ भि जेन् जाति सभे आमे समान् बलि हक् थि कहेमा पिटि छाति ….! संभब हेबा इ सबुटा जदि साहाजर् कामे जिमा माति सेबार् गुन् अछे जेते निजर् भित्’रे करुँ भर्’ति ….! ********* विश्वनाथ भुए केशाइपालि, भट्लि जिल्ला- बरगड़ (ओड़िशा) କୋଶଳୀ କବିତା – ଜୀବନର୍ ମହକ୍ ********** ଜୀବନର୍ ଉଷତ୍ ମହକ୍…

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‘ग्रामदेवता’ एक व्यंग्यात्मक उपन्यास

नवम्बर, 2020 में ऐक्सिस प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित ‘Village-gods ‘ के रूप में अंगरेज़ी में अनुवाद करते समय कथाकार प्रोफ़ेसर रामदेव शुक्ल के भोजपुरी उपन्यास ‘ग्रामदेवता ‘ की पंक्तियों से गुजरते हुए मैंने पहली बार भोजपुरी भाषा की सिहरन, छुवन, कचोट से एकाकार होते हुए एक नई साहित्यिक अनुभूति प्राप्त की। यद्यपि “ग्रामदेवता ” पूर्वी उत्तर प्रदेश के ग्राम्यांचल को आधार बनाकर लिखा गया है लेकिन यह उपन्यास भारतवर्ष के सभी गाँवों के परिदृश्य को जीवन्त शैली में मूर्त कर देता है। उपन्यास का शीर्षक ‘ग्रामदेवता ‘ व्यंग्यात्मक है।…

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पत्र-प्रतिक्रिया

नमस्कार मित्रों, नूतन चिंतन के साथ प्रगति की दिशा में अग्रसर करना अत्यंत रुचिकर होता है। साहित्य शब्द आता है भाषा से । हमारा देश भारत विविध भाषाओं का समन्वय है एवं भिन्न भिन्न संस्कृतियों की धरा भी । साहित्य इन भाषाओं को… संस्कृतियों को अपना देहावरण बनाये उल्लसित हो उठता है देश के भिन्न भिन्न प्रांतो में । यदि इन्हीं भाषाओं को हमें एक ही साहित्यिक पटल पर पढ़ने का अवसर मिल जाए तो अति प्रसन्नता मिलती है। पत्रिका ‘सर्वभाषा’ चमत्कृत करती एक ऐसी पत्रिका है जिसमें अंग्रेजी सहित…

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भोजपुरी के मांगलिक गीतन में प्रकृति

लोक-जीवन में आदमी के सगरो क्रिया-कलाप धार्मिकता से जुड़ल मिलेला। आदमी एह के कारन कुछू बुझेऽ। चाहे अपना पुरखा-पुरनिया के अशिक्षा आ चाहे आदमी के साथे प्रकृति के चमत्कारपूर्ण व्यवहार। भारतीय दर्शन के मानल जाव तऽ आदमी के जीवन में सोलह संस्कारन के बादो अनगिनत व्रत-त्योहार रोजो मनावल जाला। लोक-जीवन के ईऽ सगरो अनुष्ठान, संस्कार, व्रत, पूजा-पाठ, मंगल कामना से प्रेरित होला। ई सगरो मांगलिक काज अपना चुम्बकीय आकर्षण से नीरसो मन के अपना ओर खींच लेला। एह अवसर पर औरत लोग अपना कोकिल सुर-लहरी से अंतर मन के उछाह…

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भारतीय सभ्यता और विकास

भारतीय जीवन में सभ्यता और नैतिकता हमारे देश की संस्कृति का प्रचार संभवत देश के कोने कोने में है कई विदेशी हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति से इतना प्रभावित हैं कि वहां के विद्वान हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति पर रिसर्च करके पीएचडी की उपाधि ले रहे हैं लेकिन हमारे देश की जनता इसका महत्व नहीं जानती उन्हें अपनी विरासत से मिली  सभ्यता से कोई लेना-देना ही नहीं है क्योंकि वे  इसे घटिया और अपनी बेइज्जती करने वाले समझते हैं क्योंकि वह आधुनिक और आधुनिकता का सीधा मतलब…

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पीड़ा, प्रश्न और प्रतिकार के स्वर से भोजपुरी को ताकतवर बनाती बलभद्र की समीक्षा

हिन्दी और भोजपुरी के प्रख्यात रचनाकार बलभद्र जी के समालोचनात्मक आलेखों के संग्रह-“भोजपुरी साहित्य :देश के देस का”को सर्वभाषा ट्रस्ट,नई दिल्ली ने छापा है।लेखक के पन्द्रह हिन्दी आलेख इसमें संकलित हैं।देश के ‘देस’ की कविता-भोजपुरी, भोजपुरी में विस्थापन के काव्य -प्रसंग,भोजपुरी कविता का जनपक्ष,सत्ता-व्यवस्था पर भोजपुरी कविता का व्यंग्य, भोजपुरी कविता के संवादधर्मी जन-संदर्भ, लोक-साहित्य जीवनधर्मी संकल्पों की विरासत, भोजपुरी लोककथा:कहना-सुनना-समझना, लोकगीतःलेखा-देखा, जिन्दगी की महिमा का गायक,पीड़ा,प्रश्न और प्रतिकार की गूंज, तत्समता और तद्भवता के बीच,भोजपुरी का गद्य-बल,विभाजन को खारिज करते मुस्लिम लोकगीत , ‘बटोहिया’ और ‘अछूत की शिकायत’ के…

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नारीवाद का प्रतिरोध नारीवाद

नारीवाद का प्रतिरोध नारीवाद या नारी अधिकार वाद के स्वाधीन राजनीतिक सिद्धांत के रूप में मान्यता देना कठिन है। अधिक से अधिक यह एक विचारात्मक आंदोलन है जिसके साथ जुड़े हुए विचारों को स्वतंत्रता, समानता और न्याय के सिद्धांत के रूप में स्वीकारा जा सकता है।  इस सामान्य सिद्धांत के संदर्भ में यह पुरुष के मुकाबले नारी की स्थिति, भूमिका और अधिकारों से गहरा सरोकार रखता है।  नारी पराधीनता और नारी के  प्रति होने वाले अन्याय पर ध्यान केंद्रित करता है और इसके प्रति कारों  के उपायों पर ध्यान केंद्रित …

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समाजवाद की नूरा कुश्ती

का ज़माना आ गयो भाया, समाजवादियों की नूरा कुश्ती ने तो कार्टून चैनलों के टी आर पी की वाट लगा दी . वैसे भी वर्ष के प्रथम माह में कार्टून चैनल देखने वालो विदेश यात्रा पर चले जाते हैं , वो भी बिना किसी पूर्व सूचना के . बेचारे चैनल वाले , उनकी स्थिति तो सांप छछुंदर वाली हो जाती है . बचे – खुचे उस राशि वाले नूरा कुश्ती देखने में मस्त हैं , बेचारी पब्लिक ए टी एम् की लाइन से त्रस्त है . समाजवादियों ने तो एकता…

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लड़की बुटीफुल्ल कर गइल चुल्ल

बंगड़ गुरु के पड़ोस में एक जाना क बियाह रहल। लाउडस्पीकर पुरजोर लाउड रहल। सबेरहीं से एक्के गनवा कई बेर बजावल जात रहल, ’लड़की ब्यूटीफूल कर गयी चुल्ल…।’ सुनत -सुनत कपार दुखा गईल त बंगड़ खुनुस से फफात- उधियात पड़ोसी के घर में धावा बोललन। ’केकर काल आ गयल ह कि हेतना जोर -जोर से लउडस्पीकर बजावत ह …आंय ?’ क्रोधन बंगड़ काँपत रहलन। ’’सादी-बियाह क घर ह त गाना -बजाना ना होई का ?…तोहरे भाग में त इकुल सुख देखे के लिखले ना ह। दुआरे तिलकहरू चढ़बे ना करीहन…

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जयशंकर प्रसाद द्विवेदी के मिली हिन्दुस्तानी एकेडेमी के भिखारी ठाकुर भोजपुरी सम्मान

देश के  प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था हिन्दुस्तानी एकेडेमी प्रयागराज शुक्रवार के  अपने राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारन  घोषणा कइलस। एह बेरी भोजपुरी खाति भिखारी ठाकुर भोजपुरी सम्मान आखर – आखर गीत बदे  चंदौली जिला के बरहुआं गाँव के बेटा गाजियाबाद में रहि रहल जयशंकर प्रसाद  द्विवेदी के दीहल जाई। ए सम्मान के साथे उनुका के संस्था के ओरी से एक लाख रुपए के धनराशि भी दीहल जाई । भोजपुरी का क्षेत्र में दीहल जाये वाला ई एगो महत्वपूर्ण सम्मान ह। बतावत चलीं कि एह किताबि के प्रकाशन सर्वभाषा ट्रस्ट कइले बा। वर्ष…

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